- सीएम, डिप्टी सीएम तय करने के लिए राहुल के घर हुई बैठक में प्रियंका गांधी भी मौजूद थीं
- तीनों राज्यों में डिप्टी सीएम के फॉर्मूले पर विचार कर रही कांग्रेस
- डिप्टी सीएम पद के लिए पायलट और सिंधिया को मनाना मुश्किल
- छत्तीसगढ़ में टीएस सिंदेव का नाम सबसे आगे, भूपेश बघेल के नाम का विरोध कर रहे मोतीलाल
नई दिल्ली. मध्यप्रदेश में कमलनाथ और राजस्थान में अशोक गहलोत का मुख्यमंत्री बनना तय माना जा रहा है। हालांकि, बताया जा रहा है कि प्रियंका गांधी चाहती हैं कि मप्र में ज्योतिरादित्य सिंधिया सीएम बनें। नामों के ऐलान से पहले यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी भी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मिलने उनके घर पहुंचीं। कांग्रेस छत्तीसगढ़ में सीएम पद के लिए भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के साथ-साथ ताम्रध्वज साहू के नाम पर भी विचार कर रही है। यहां सिंहदेव का नाम सबसे आगे है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यहां मोतीलाल वोरा बघेल के नाम का विरोध कर रहे हैं।
पार्टी तीनों राज्यों में डिप्टी सीएम के फॉर्मूले के बारे में भी सोच रही है। मप्र में ज्योतिरादित्य सिंधिया और राजस्थान में सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री बनाने में कांग्रेस को मुश्किल हो सकती है, क्योंकि माना जा रहा है कि दोनों नेता मुख्यमंत्री के अलावा कोई अन्य पद स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं होंगे।
राहुल से मिले गहलोत-नाथ
कमलनाथ, अशोक गहलोत, ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट गुरुवार सुबह दिल्ली पहुंच गए। दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आवास पर बैठक हुई। इसमें राहुल की बहन प्रियंका वाड्रा भी मौजूद थीं। बैठक में सबसे पहले राजस्थान के पर्यवेक्षक केसी वेणुगोपाल और अविनाश पांडे ने राहुल को अपनी रिपोर्ट सौंपी। दोपहर करीब एक बजे सचिन पायलट और अशोक गहलोत राहुल से मिलने पहुंचे। दोनों की राहुल से अलग-अलग मुलाकात हुई।
तीनों राज्यों में कौन हैं मुख्यमंत्री बनने के दावेदार
मध्यप्रदेश- कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया
राजस्थान- अशोक गहलोत, सचिन पायलट छत्तीसगढ़- भूपेश बघेल, ताम्रध्वज साहू, टीएस सिंहदेव
राजस्थान
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निर्दलीय विधायक महादेव सिंह खंडेला और राजकुमार गौर ने कहा कि अशोक गहलोत दो बार मुख्यमंत्री रहे हैं। हम भी चाहते हैं कि वे सीएम बनें। कांग्रेस के आलाकमान को भी ऐसा ही फैसला लेना चाहिए।
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दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय के सामने सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग को लेकर नारेबाजी की।
- इससे पहले बुधवार को जयपुर में विधायक दल की बैठक हुई। करीब आठ घंटे की मशक्कत का नतीजा सिफर रहा। डीग-कुम्हेर से एमएलए विश्वेंद्र सिंह विधायक दल की बैठक बीच में छोड़कर चले गए। उन्होंने कहा कि जब फैसला आलाकमान को करना है तो यह बैठक क्यों? अगर सीएम पद पर निर्णय नहीं हो पा रहा है तो सिक्का उछालकर फैसला कर लो।
आखिर क्यों नहीं हुई सीएम के नाम की घोषणा?
1. दावेदारी : मुख्यमंत्री पद से कम पर न पायलट मान रहे, न गहलोत, दोनों नेताओं ने आलाकमान को संदेश भेजा
सीएम पद के लिए प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट और अशोक गहलोत दोनों की ओर से दावेदारी की जा रही है। प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते सचिन पायलट सीएम पद से नीचे समझौता करने के लिए तैयार नहीं हैं। पूर्व सीएम अशोक गहलोत तीसरी बार सीएम बनने के लिए मजबूत तरीके से दावेदारी पेश कर रहे हैं। दोनों ही नेताओं ने अपने-अपने तरीके से आलाकमान को मैसेज कर दिया है।
2. नंबर गेम : गहलोत ने बागियों का समर्थन दिखाया तो पायलट के पक्ष में भी बसपा नेता का वीडियो आया
सूत्रों का कहना है कि गहलोत विधायकों से पर्ची के जरिए सीएम चेहरा घोषित करने की बात कर रहे थे। गहलोत ने बागी होकर जीते विधायकों का समर्थन हासिल करने का ऐलान किया। जैसे ही नंबर गेम की बात आई तो दोपहर बाद तीन बजे पायलट गुट की ओर से भी एक वीडियो जारी किया गया, जिसमें बसपा के राजेंद्र गुढा न केवल खुद बल्कि निर्दलीय विधायकों की ओर से भी पायलट को समर्थन की बात करते नजर आ रहे हैं।
3. रायशुमारी : पर्यवेक्षकों ने नाम तय करने के लिए विधायकों से पर्चियां लीं, आलाकमान पर छोड़ा फैसला
रायशुमारी के बाद भी तस्वीर साफ नहीं हो पाई। इस दौरान दोनों ही गुटों के विधायकों ने अपने-अपने नेता को सीएम बनाने की बात कही। पार्टी को संभावित नुकसान के बारे में भी बताया। ऐसे में पर्यवेक्षकों के लिए भी किसी एक नाम को तय करना मुश्किल बन गया, जिसके चलते विधायकाें से गहलोत-पायलट के नाम की पर्चियां ली गईं।
4. अंत में पायलट और गहलोत दोनों बोले : राहुल का फैसला मानने को हम तैयार
कांग्रेस आलाकमान सचिन पायलट और अशोक गहलोत, दोनों में से किसी को भी नाराज नहीं करना चाहता। वह दोनों नेताओं को संतुष्ट करना चाहता है, जिससे लोकसभा चुनाव में पार्टी का नुकसान न हो। ऐसे में अब राहुल गांधी के स्तर पर फैसला छोड़ दिया गया।
मध्यप्रदेश
- कांग्रेस नेता कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया भी गुरुवार सुबह दिल्ली पहुंचे।
- पर्यवेक्षक एके एंटनी गुरुवार को दिल्ली से फिर भोपाल आएंगे। वे यहां पीसीसी में शाम 4 बजे होने वाली विधायकों की बैठक में शामिल होंगे। यहीं विधायक दल के नेता का एेलान भी कर दिया जाएगा। पार्टी सूत्रों के मुताबिक 14 दिसंबर को नए मुख्यमंत्री शपथ ले सकते हैं।
- एंटनी ने बुधवार को विधायक दल की बैठक में कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय खेमे के विधायकों से अलग-अलग चर्चा की। हालांकि इसमें मुख्यमंत्री का नाम तय नहीं हो पाया। पार्टी सूत्रों के मुताबिक सभी विधायकों ने मुख्यमंत्री पद के लिए कमलनाथ और सिंधिया को अपनी पसंद बताया।
छत्तीसगढ़
- मुख्यमंत्री पद के दावेदार टीएस सिंह देव ने कहा कि बैठक में जो बात हुई है, मैं उसका खुलासा नहीं कर सकता। विधायकों के अपने मत हो सकते हैं। यह उनका अधिकार है। मैं इस बारे में कुछ नहीं कह सकता।
- छत्तीसगढ़ प्रभारी पीएल पुनिया भी पर्यवेक्षक खड़गे के साथ दिल्ली पहुंचे गए हैं। सूत्रों ने बताया कि दोपहर में राहुल गांधी के साथ उनकी मीटिंग है।
- इससे पहले बुधवार को रायपुर में विधायक दल की बैठक में डॉ. चरणदास महंत ने प्रस्ताव रखा कि सीएम को लेकर फैसला कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी करें, ताम्रध्वज साहू ने महंत के प्रस्ताव का समर्थन किया। इसलिए अब छत्तीसगढ़ का सीएम कौन होगा इसकी घोषणा दिल्ली से ही होगी। इससे पहले खड़गे ने सभी विधायकों से एक-एक कर चर्चा की। राज्य में सीएम पद के दावेदार भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव हैं।
बघेल इसलिए मजबूत दावेदार
- झीरम कांड के बाद कांग्रेस को मजबूती दिलाई।
- भाजपा के खिलाफ हर मोर्चे पर मुकाबला किया।
- लगातार 5 साल तक कार्यकर्ताओं को सक्रिय रखा।
- पहली बार कांग्रेस संगठन को बूथ तक ले गए।
- आरोपों के बावजूद चुनाव में पूरी ताकत से प्रचार करते रहे।
सिंहदेव इसलिए प्रबल दावेदार
- प्रभावी घोषणा-पत्र बनाकर नजर में आए।
- सदन में सरकार के खिलाफ लगातार मुखर।
- सरगुजा संभाग में भाजपा का सफाया किया।
- साफ छवि व मिलनसार व्यक्तित्व।
- चुनाव के दौरान प्रदेश के सभी जिलों में धुआंधार दौरे किए। लेकिन भूपेश का पलड़ा भारी है।