दंगाइयों के अच्छे दिन आ चुके है। समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट मामले में पंचकुला की स्पेशल एनआईए कोर्ट ने असीमानंद समेत चारों अभियुक्तों को बरी कर दिया है। करीब 12 साल यानी की साल 2007 में 18 फ़रवरी 2007 को भारत-पाकिस्तान के बीच हफ़्ते में दो दिन चलनेवाली ट्रेन संख्या 4001 अप अटारी (समझौता) एक्सप्रेस में दो आईईडी धमाके हुए थे जिसमें 68 लोगों की मौत हो गई थी।
अदालत ने कहा कि सबूतों के अभाव में इन अभियुक्तों को बरी कर दिया। इस मामले में सुनवाई पूरी करते हुए अदालत ने असीमानंद के साथ लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजेंद्र चौधरी आरोपी बनाया था।
गौरतलब हो कि ट्रेन जब दिल्ली से लाहौर जा रही थी। ठीक उसी वक़्त हरियाणा के पानीपत जिले में चांदनी बाग थाने के अंतर्गत सिवाह गांव के दीवाना स्टेशन के नजदीक हुआ था। इस ब्लास्ट के सभी आरोपियों के खिलाफ पंचकूला की स्पेशल एनआईए कोर्ट में केस चल रहा था। जिन्हें अब बरी कर दिया गया है।
ये केस पंचकूला की स्पेशल एनआईए कोर्ट में केस चल रहा था। इस केस में कुल 302 गवाह थे। इनमें चार पाकिस्तानी नागरिक थे। मगर फिर भी सुबूत के आभाव के चलते सभी मुख्य आरोपियों को बरी कर दिया गया है।
बता दें कि इससे पहले करीब 11 साल पहले 18 मई 2007 को हैदराबाद की ऐतिहासिक मस्जिद में हुए इस धमाके में करीब 9 लोगों की मौत हुई थी, वहीं 58 लोग घायल हुए थे। यह धमाका जुमे की नमाज़ के दौरान हुआ था।
इस मामले में भी आरोपी देवेंद्र गुप्ता, लोकेश शर्मा, स्वामी असीमानंद उर्फ नबा कुमार सरकार, भारत मोहनलाल रत्नेश्वर उर्फ भारत भाई और राजेंद्र चौधरी को गिरफ्तार किया गया था और उनपर ट्रायल चला था। जिन्हें आज एनआईए की विशेष अदालत ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।
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