खास बातें
- आज होगा AAP-कांग्रेस के बीच गठबंधन पर अंतिम फैसला.
- राहुल गांधी ने अपने आवास पर एक अहम बैठक बुलाई है.
- राहुल गांधी गठबंधन पर चर्चा करेंगे.
नई दिल्ली:
लोकसभा चुनाव के मद्देनजर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की खबरों पर अभी विराम नहीं लगा है. दिल्ली में एक बार फिर से आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की सुगबुगाहट तेज हो गई है और आज इसे लेकर कांग्रेस ने एक बैठक भी बुलाई है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गठबंधन पर फैसला लेने के लिए आज सुबह 10 बजे अपने आवासा पर एक अहम बैठक बुलाई है. इस बैठक में दिल्ली कांग्रेस की अध्यक्ष शीला दीक्षित, तीनों कार्यकारी अध्यक्ष और दिल्ली कांग्रेस के प्रभारी पीसी चाको भी मौजूद रहेंगे. माना जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर आज कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से आप के साथ गठबंधन पर फैसला ले सकती है.
उम्मीद की जा रही है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी एक बार फिर से दिल्ली की परिस्थितियों पर चर्चा करेंगे और दिल्ली के कांग्रेस नेताओं की राय जानेंगे. बता दें कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन को लेकर अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं हुई. हालांकि, आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) दिल्ली की सातों सीटों पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर चुकी है और चुनाव अभियान भी शुरू कर दिया. लेकिन सूत्रों का मानना है कि दोनों पार्टियों में अभी भी गठबंधन को लेकर बातचीत जारी है.
मंगलवार को सूत्रों ने बताया था कि एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने मध्यस्थ की भूमिका निभाते हुए दोनों पार्टियों से बातचीत की थी. सूत्रों ने साथ ही बताया था कि आम आदमी पार्टी ने शरद पवार के जरिए कांग्रेस (Congress) को गठबंधन के लिए नया ऑफर भिजवाया है. हालांकि, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने कहा कि उनकी कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर कोई बातचीत नहीं चल रही है. कांग्रेस हमें मना कर चुकी है.
सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गठबंधन के पक्ष में हैं. इसके लिए कांग्रेस ने अपने कार्यकर्ताओं में एक सर्वे और ऑपिनियन पोल करवाया. इसमें गठबंधन करने पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को फायदा होते हुए दिखाया. इसके बाद पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने राहुल गांधी से अपने फैसले पर दोबारा से विचार करने के लिए कहा. हालांकि, अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है. गौर करने वाली बात यह है कि दिल्ली कांग्रेस प्रमुख शीला दीक्षित इस गठबंधन के खिलाफ हैं, लेकिन दिल्ली पार्टी प्रभारी पीसी चाको इसके पक्ष में हैं. पीसी चाको ने कॉल करके कांग्रेस कार्यकर्ताओं से गठबंधन पर राय भी मांगी थी.
क्या है आंकड़ों का गेम
अब सवाल यह उठता है कि आखिर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों ही दिल्ली में साथ चुनाव क्यों लड़ना चाहती हैं. यह पूरा खेल आंकड़ों का है. साल 2014 लोकसभा चुनाव के आंकड़ें देखें तो दिल्ली में भाजपा ने 46.63 फीसदी वोटों के साथ सातों सीटों पर कब्जा कर लिया था. वहीं अगर आम आदमी पार्टी के वोट फीसद देखें तो वह 33.08 फीसदी के साथ दूसरे नंबर पर थी. कांग्रेस को 42.01 फीसदी वोटों का नुकसान हुआ था, उसका आंकड़ा 15.22 फीसदी ही पहुंच पाया. अगर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के वोट फीसद को जोड़ा जाए तो यह 48 फीसदी से ज्यादा जा रहा है, जो कि भाजपा से ज्यादा है. ऐसे में दोनों पार्टियों का सोचना है कि साथ चुनाव लड़ने से दोनों को फायदा होगा और भाजपा को हराने में मदद मिलेगी.
कांग्रेस के सर्वे में क्या है खास
दिल्ली कांग्रेस प्रदेश कमेटी से जुड़े एक नेता ने एनडीटीवी को बताया, ‘पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के राज्य ईकाई की बात मानने और आप के साथ गठबंधन न करने का फैसला लेने के बाद वरिष्ठ केंद्रीय नेताओं ने राहुल गांधी से मुलाकात की और उन्हें इस फैसले पर दोबारा से विचार करने के लिए कहा. कांग्रेस ने इसके लिए एक सर्वे करवाया, जिसमें भाजपा (BJP) को 35 फीसदी वोटों के साथ आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) और कांग्रेस से आगे दिखाया गया है. वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी द्वारा कराए गए सर्वे राहुल गांधी को दिखाया, जिसमें आम आदमी पार्टी को 28 फीसदी, कांग्रेस को 22 फीसदी और भाजपा को 35 फीसदी वोट मिल रहे थे. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन किया जाता है तो दिल्ली की सातों सीटें गठबंधन के खाते में आ जाएंगी.’
सूत्रों के मुताबिक वरिष्ठ केंद्रीय नेताओं से मुलाकात के बाद राहुल गांधी ने आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन पर शक्ति ऐप के जरिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं से राय मांगी थी. इसके बाद उस फीडबैक का नतीजा राहुल गांधी को दे दिया गया है.
Thank you for your sharing. I am worried that I lack creative ideas. It is your article that makes me full of hope. Thank you. But, I have a question, can you help me?